इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम IBSइर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, में रोगी की बड़ी आंत की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है और इसमें आंत की बनावट में कोई फर्क न होते हुए भी रोगी को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस कैंसर रहित बीमारी के मरीजों में इसके लक्षण, घातक और सामान्य दोनों ही तरीकों से नजर आ सकते हैं। एक ओर जहां कुछ रोगियों में लक्षण इतने हल्के होते हैं, कि उन्हें पता भी नही चल पाता, वहीं दूसरी ओर कुछ मरीजों में इससे बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। यह बीमारी घातक नहीं होती और इलाज द्वारा इसे ठीक भी किया जा सकता है। इस बीमारी का इलाज, इस बात पर निर्भर करता है कि आंत का कौन सा हिस्सा इससे प्रभावित है और रोगी में इसके लक्षण कितने ज्यादा या कम नजर आ रहे हैं।
हालांकि इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम इतनी घातक बीमारी नहीं है और इसे इलाज के द्वारा ठीक भी किया जा सकता हो। लेकिन इस बीमारी के लक्षण व्यक्ति को बहुत परेशान करते हैं। आइए इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण के बारे में जानकारी लें।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण
कब्ज या दस्त - इस बीमारी में व्यक्ति को दस्त या कब्ज की समस्या होती है जो कम या ज्यादा हो सकती है। कई बार दस्त सामान्य और कई बार रक्त के साथ होते हैं। हालांकि घरेलू उपचार की मदद से इससे आराम मिल जाता है लेकिन कुछ समय के बाद समस्या फिर से शुरू हो जाती है। यदि रोगी के मल में रक्त आना शुरू हो जाता है तो उसे एनीमिया भी हो सकता है।
वजन कम होना - इस बीमारी में मरीज का वजन कम होना बेहद ही आम होता है। खासकर अगर बीमारी के दौरान दस्त की समस्या हो जाये तो उसके शरीर में पानी की कमी की समस्या भी पैदा हो जाती है।
भूख में कमी- इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या होने पर मरीज को भूख कम लगने लगती है और कभी-कभी तो उसका जी भी मिचलाने लगता है।
पेट में ऐंठन और दर्द- इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के रोगियों में पेट में दर्द या ऐंठन होना सबसे आम लक्षण होता है। हालांकि कभी-कभी यह इतना हल्का होता है कि मरीज को पता हीं नही लगता कि इसका कारण क्या है और वह इसका उपचार सामन्य पेट दर्द समझ कर ही करता है।
बुखार- कभी-कभी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के मरीज को हल्का या तेज बुखार भी हो जाता है।
इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम की समस्या होने पर, इस तरह के लक्षण नजर आते हैं। भले ही इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक घातक बीमारी नहीं हैं लेकिन हो यदि इसे नजरअंदाज किया जाए तो इससे होने वाली अन्य समस्याएं रोगी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम, के लक्षणों में, पेट दर्द, ऐंठन, कब्ज या दस्त और कभी-कभी बुखार और तनाव भी शामिल हैं। साथ ही बड़ी आंत को प्रभावित करने वाली इस बीमारी से होने वाली परेशानियों में दवाएं लेने के बावजूद रोगी को एकदम से राहत नही मिल पाती। बल्कि यह बीमारी धीरे-धीरे ठीक होती है। ऐसे में मरीज के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह दवाओं के साथ-साथ उन चीजों के सेवन की जानकारी भी कर ले जिनके प्रयोग से फायदा और नुकसान पहुंचता है।
नियमित एक्सरसाइज - स्वस्थ शरीर और जीवन के लिए एक्सरसाइज बहुत महत्वपूर्ण है। निसंदेह नियमित रूप से एक्सरसाइज करने वाले व्यक्ति बीमार कम पड़ते हैं। लेकिन अगर आप बीमार पड़ गए हैं, और फिर एक्सरसाइज शुरू कर देते हैं तो भी बीमारी से जल्दी निजात पा सकते हैं। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या में एक्सरसाइज से पाचन क्रिया के साथ-साथ आंतों की कार्य क्षमता पर भी अच्छा असर पड़ता है।
फाइबर- फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में बेहद फायदेमंद होता है। नियमित रूप से और उचित मात्रा में फाइबर का प्रयोग करने से पाचन क्रिया ठीक रहती है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से होने वाली कब्ज में भी फाइबर महत्वपूर्ण होता है। फाइबर का उचित मात्रा में प्रयोग करने से कब्ज में राहत मिलती है। फाइबर आपको ताजे फलों, सब्जियों, सम्पूर्ण अनाज और बींस से पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है। लेकिन इसकी सही मात्रा के बारे में भी आपको जानकारी होनी चाहिए क्योंकि फाइबर का ज्यादा मात्रा से भी गैस की समस्या हो सकती है।
तरल पदार्थ- तरल पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक करें। क्योंकि यह पेट समेत सम्पूर्ण शरीर को डिटॉक्स करने का एकमात्र तरीका है। क्योंकि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम में रोगी को कब्ज या दस्त की समस्या होती ही है, इसलिए भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करने से समस्याओं में राहत मिल सकती है।
IBS often irritable bowl syndrome इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम
Reviewed by RAVISH DUTTA
on
March 05, 2019
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