लोगों ने देसी घी से भोजन बनाना कम क्यों कर दिया है?لوگوں نے مقامی جھاگ سے کھانے کی کھپت کیوں کم کردی ہے؟
लोगों ने देसी घी से भोजन बनाना कम क्यों कर दिया है
لوگوں نے مقامی جھاگ سے کھانے کی کھپت کیوں کم کردی ہے؟
![]() |
लोगों ने देसी घी से भोजन बनाना कम क्यों कर दिया है
لوگوں نے مقامی جھاگ سے کھانے کی کھپت کیوں کم کردی ہے؟
घी का प्रयोग कम क्यूँ हो गया है – आजकल सेहत की बात इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि आम लोगों के जीवन में मशीने ज्यादा हैं जिससे सुविधा बढ़ी है लेकिन शारीरिक श्रम कम हो गया है. इसीलिए खाने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इस पर ज्यादा जोर दिया जाता है. उदहारण के तौर पर, अगर 30-40 साल पहले आप घी से बने लड्डू, जलेबी, और बहुत कुछ पचाने की क्षमता रखते थे तो आज नहीं. मुझे याद है हमारी दादी चक्की से गेहूं, दलिया, बेसन आदि पीसती थीं. सब्जी मंडी पैदल जाती थीं राशन लेकर वापस पैदल आती थीं, आदि....जो हम नहीं करते तो हम फिर इतना घी कैसे हजम करेंगें. यही वजह है कि अब घी को थोडा कम खाने को कहा जाता है. जो कि अच्छी बात है.
आयुर्वेद में घी को सर्वश्रेष्ठ स्नेह (घी-तेल-मज्जा-वसा) माना गया है. ये मधुर गुण वाला होता है और पित्त और वात दोष में लाभकारी है. बहुत सारी आधुनिक शोध भी यह बताती हैं कि अगर घी का सेवन थोड़ी मात्रा में किया जाये तो यह बहुत गुणकारी है. थोड़ी मात्रा से मतलब यहाँ 2-3 छोटा चम्मच रोजाना है. घी की गुणवत्ता को देखते हुए ही विदेशों में घी का प्रचलन बहुत बढ़ा है
अगर घी शुद्ध है और इसमें मिलावट नहीं है तो यह सेहतकारी है. इसीलिए भारत में खिचड़ी, दाल आदि में घी को ऊपर से भी डाला जाता है. घी का धूम्र बिन्दु या smoking point 252° C है जो अमूमन सभी प्राकृतिक तेलों के धूम्र बिंदु से ज्यादा है. इसका सरल मतलब ये है कि घी को तेज आंच पर इस्तेमाल करने पर भी यह ख़राब नहीं होता. इसलिए भी इसको सेहत के लिहाज से अच्छा माना जाता है.
सनद रहे कि जहाँ थोडा घी सेहत के लिए अच्छा हैं वहीँ अधिक घी, बल्कि घी ही क्यों कोई भी चिकनाई, बहुतायत में खाना नुकसानदेह है.
लोगों ने देसी घी से भोजन बनाना कम क्यों कर दिया है?لوگوں نے مقامی جھاگ سے کھانے کی کھپت کیوں کم کردی ہے؟
Reviewed by RAVISH DUTTA
on
June 18, 2019
Rating:
Reviewed by RAVISH DUTTA
on
June 18, 2019
Rating:


No comments: