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| भारतीय विवाह परंपरा |
वर्तमान की शादी की परंपराओं को आग में डाल देना चाहिए और फिर से नए सिरे से इसको शुरू करना चाहिए ।पाखण्ड ,नकल, बेवकूफी और मिथ्या अभिमान के अतिरिक्त इसमे कुछ बचा ही नही है ।
भारतीय विवाह परंपरा को लगभग आज की स्थिति में आप भेड़चाल व्यवस्था ही बोल सकते हो । क्योंकि उसमे पाखंड ,नकल के अलावा कुछ रहा ही नही है ।
अधिकतर रस्मे तो हमने फ़िल्मो से नकल कर के शुरू कर ली है बची हमारी रस्मे तो वो अब बस बचे समय मे खानापूर्ति तक ही सीमित रह गए है ।
यह रस्म रणवीर कपूर और दीपिका की फ़िल्म से ले लिया आज हर शादी में इसको किया जाता है कि देखो हम कितने बड़े नकलची लोग है ।
दूसरा दूल्हे को पहनाया जाने वाला परिधान जिसमे से अधिकतर मध्यकालीन अत्याचारी राजाओं के परिधान होते है ,जिसको पहनकर दूल्हा जोकर से ज्यादा कुछ नही लगता ।
●साथ ही साथ ये बाजार की चाइनीज़ पगड़ीनुमा टोपी जिसको पहनकर आप के बाल खराब हो जाते है बाल दिखते भी नही तो ऐसे में आप ये टोपी में टोपे से अधिक कुछ नही लगते हो । पगड़ी पहननी ही है तो बांधना भी सीखो
हनीमून परंपरा
● पहले यह सिर्फ एलीट परिवारों की परंपरा थी लेकिन अब टीवी से नकल कर के हर परिवार में आ गयी ,शादी में आने वाले रिश्तेदारों से मिलने उनसे परिचय के बजाय लोग हनीमून की तैयारी में लग जाते है ,ऐसे में यह परंपरा आप को सामाजिकता से दूर ले जाती है क्योंकि ऐसे बहुत से रिश्तेदार होते है जो आप की शादी के बाद शायद ही कभी मिलते हो लेकिन आप उनसे परिचय का समय खो देते हो ।
मुझे तो लगता है वर्तमान की शादी की परंपराओं को आग में डाल देना चाहिए और फिर से नए सिरे से इसको शुरू करना चाहिए ।पाखण्ड ,नकल, बेवकूफी और मिथ्या अभिमान के अतिरिक्त इसमे कुछ बचा ही नही है ।
भारतीय विवाह परंपरा
Reviewed by RAVISH DUTTA
on
June 24, 2019
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June 24, 2019
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