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भारतीय संस्कृति का विनाश क्यों होता जा रहा है ?

भारतीय संस्कृति का विनाश क्यों होता जा रहा है ?
अब एक कहानी के माध्यम से इस प्रश्न का उत्तर आगे बढ़ाना चाहूँगा। एक बार, एक कोचिंग संस्थान में एक लड़की आया करती थी। वह हमेशा पाश्चात्य वेशभूषा में आती थी। पाश्चात्य का मतलब कोई साधारण पोशाक नहीं, ऐसे छोटे छोटे कपड़े पहनकर आती थी जो शायद हमें किसी शिक्षा संस्थान में नहीं पहनकर जाना चाहिए। फ़िर एक दिन, उस कोचिंग सेंटर की एक शिक्षिका ने उसे पास बुलाया और कहा कि तुम यहाँ पढ़ाई करने आती हो कि किसी फ़ैशन शो में प्रतियोगिता करने आती हो? थोड़ा ढ़ग से कपड़े पहना करो। बस इतनी सी बात पर उस लड़की को इतना क्रोध आ गया कि उसने सीधे ही जाकर उस कोचिंग सेंटर के चैयरमैन के पास शिकायत कर दी। और फ़िर उस शिक्षिका और अपने सभी साथियों को यह समझाने लगी कि "मैं एक नारीवादी हूँ( सीधा सीधा बोले तो 'फ़ेमिनिस्ट')। और इसीलिए मैं हमेशा ऐसे कपड़े ही पहनकर आऊंगी। और वेसे भी यह मेरी मर्ज़ी है कि मैं कैसे कपड़े पहनूँ और आप सभी को मेरी इच्छा की कद्र करनी चाहिए।"फ़िर वह लड़की वेसे ही पोशाक में क्लास आने लगी।
भारतीय संस्कृति एवं परंपरा को हम असभ्यता का नाम देने लगे हैं!

भारतीय संस्कृति एवं परंपरा को हम असभ्यता का नाम देने लगे हैं! 
कुछ दिनों बाद उस कोचिंग सेंटर में एक शिक्षक-अभिभावकों की मीटिंग थी। उसमें वह लड़की अपने माता-पिता के साथ आई थी। वह जहाँ पर जाकर बैठी, उसके पास वाली सीट पर और एक लड़की बैठी हुई थी। वह लड़की बहुत सीधी-साधी थी और सलवार पहनी हुई थी। उसको देखकर दूसरी लड़की ने कहा कि आज इंसान चाँद पर पहूँच गया है पर तुम फ़िर भी सलवार के नीचे छुपी हुई हो! अगर ऐसा करोगी तो तुम्हारे अन्दर एक अच्छा व्यक्तित्व का विकास कभी नहीं हो पाएगा। अब मेरे जैसा नारीवादी बनो।

मुझे यह बात समझ नहीं आ रही है कि जो लड़की एक दिन दूसरों को यह बात सीखा रही थी कि उनको उसकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए, वह लड़की खुद ही दूसरों की इच्छा का सम्मान करना नहीं जानती है!! क्या नारीवाद की नीतियाँ हमें यही सीखाती हैं?
अब आप लोग ही बताईए कि क्या भारतीय पोशाक पहनना उस लड़की का गँवारपन था या मुर्खता थी??भारतीय पोशाक पहनना हमारी मज़बूरी नहीं, हमारी पहचान है। यह तो केवल एक छोटा सा उदाहरण था, इस बात का कि हम पाश्चात्यकरण की छाया में इस प्रकार वशीभूत हो चुके हैं कि अपनी भारतीय संस्कृति एवं परंपरा को हम असभ्यता का नाम देने लगे हैं! पोशाक तो सिर्फ़ एक उदाहरण था। ऐसे हर क्षेत्र में हम भारतीय, खास करके हमारी युवापीढ़ी अपनी संस्कृति और सभ्यता को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।
भारतीय संस्कृति का विनाश क्यों होता जा रहा है ? भारतीय संस्कृति का विनाश क्यों होता जा रहा है ? Reviewed by RAVISH DUTTA on June 16, 2019 Rating: 5

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