About Me

banner image
banner image

जीव के जन्म की छठी रात्रि को विधिमाता उसका भाग्य लिख देती हैं

विधना ने जो लिख दयी छठी रात्रि के अंक ।राई घटे न तिल बढ़े रहो जीव निशंक ।।

Image result for vidhi mata
जीव के जन्म की छठी रात्रि को विधिमाता उसका भाग्य लिख देती हैं । फिर कोई उसे कम या ज़्यादा घटा बढ़ा नहीं सकता ।
किँतु फिर भी उसे जानना ज़रूर चाहता है । और जो आवश्यक भी है ।
यदि हमें आभास हो जाये की हमारा वर्तमान समय हमारे लिए अनुकूल नहीं है तो हम सावधान रहते हुए अनावश्यक कार्यों या नुकसान से बच सकते हैं । और यदि जान सकें कि समय अनुकूल है तो हमें उस अवसर का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए ।
इसके लिए आवश्यक है " ज्योतिर्विज्ञान " जो हमारे अज्ञान रूपी तिमिर में प्रकाश की किरण दिखाता है ।
अनंतकोटी ब्रह्माण्डनायक परमपिता के अनेकानेक रूपों में एक ज्योतिष भी है ।ज्योतिष में जो कुछ भी है , सबमें परमेश्वर ही व्याप्त है । ग्रह , नक्षत्र और कालचक्र सभी उन्हीं के नियंत्रण में है ।
बहुत से मित्र जिनके पास अपना जन्म समय अथवा जन्म कुंडली नहीं होती और जो अपना भविष्य भी जानना चाहते हैं , अक्सर निराशा या दुविधा में ही रहते हैं सत्य नहीं जान पाते । आज का यह लेख उन्हीं के लिए है ।
यदि किसी की कुंडली न हो तो क्या उसका भाग्य नहीं बाँचा जा सकता , निश्चित ही जाना जा सकता है । केवल आपको ज्योतिष विषय का पर्याप्त ज्ञान और अनुभव होना चाहिए । " ज्येष्ठ सन्तान " वो पुत्र हो अथवा पुत्री अथवा केवल पुत्र की कुंडली हो , तो पूर्ण कथन सम्भव है माता अथवा पिता के वर्तमान , अतीत या भविष्य को समझने के लिए । बस वास्तविक रूप से आप ज्योतिष विषय में दक्ष हों।
वर्षों के अनुभव से मैंने पाया है की किसी भी जातक की कुण्डली से उसके भाई - बहन , माँ , पिता या कुटुंब के विषय में कुछ भी ज्ञात किया जा सकता है ।
ग्रहों से सम्बंधित कष्ट या शुभफल को जान लेने के पश्चात यदि कोई उपाय आवश्यक हो तो सुझाया जा सकता है ।
ग्रहों से कष्ट का होना किसी ग्रह का दोष नहीं, अपितु अपने ही शुभ अशुभ कर्मों के फल की प्राप्ति मात्र है जो ग्रहों द्वारा हमें प्राप्त होते रहते हैं ।
क्या उपायों से ग्रह शांति होती भी है ..?
इसका उत्तर है , होती तो अवश्य है किंतु जैसे वैद्य या डॉक्टर रोग को पकड़ पाये तो ही उचित दवा दे पाएगा और तभी उचित लाभ भी मिलेगा । ज्योतिष और उपायों को भी ऐसा ही मानें।
सर्वप्रथम तो यही स्पष्ट करूँ की वास्तविक ज्योतिषीय उपाय हमारे मनीषियों के क्या सुझाये हैं।
वैदिक ज्योतिष अनुसार ग्रहों से संबंधित कष्ट होने पर उनके निमित्त औषधि स्नान , दान और नवग्रह पूजा सहित सम्बंधित ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहये । विशेष आवश्यक होने पर महामृत्युंजय मंत्र जाप , रुद्राभिषेक, दुर्गा सप्तशती का पुरश्चरण अथवा अन्य वैदिक उपायों का आश्रय लेना चाहिए । बहुत अनुभवी ज्योतिर्विद की ही सलाह पर रत्न धारण करना चाहिए , क्योंकि गलत रत्न धारण से हानि भी हो जाती है।
वर्तमान कलिकाल में ज्योतिषियों की मानो बाढ़ सी आ गयी है , और ज्योतिष के नाम पर क्या क्या हो रहा है यह मुझे कहने की आवश्यकता नहीं । कोई भृगु संहिता की बात करता है कोई रावण संहिता की , जबकि वास्तव में मूलरूप से यह ग्रँथ उपलब्ध ही नहीं है । कोई गुलाबी किताब कोई हरी किताब की बात करता है । और उपाय भी हास्यास्पद से होते हैं।
हमें धैर्यपूर्वक अपने प्राचीनतम वैदिक ज्ञान पर विश्वास करना चाहिए , जो अनर्गल प्रलाप न करके केवल आवश्यक और संक्षिप्त मार्गदर्शन ही करता है । जो पूर्णतया सक्षम और सफल हैं।। आवश्यकता है उन्हें श्रद्धापूर्वक करने की , उसे विवशता में करा हुआ कर्म न मानते हुए किया जाए ।
जीव के जन्म की छठी रात्रि को विधिमाता उसका भाग्य लिख देती हैं जीव के जन्म की छठी रात्रि को विधिमाता उसका भाग्य लिख देती हैं Reviewed by RAVISH DUTTA on February 21, 2019 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.