205 साल बाद शनि जयंती पर बन रहा है दुर्लभ योग, अपने नाम के अनुसार करें उपाय
इस साल 15 मई को शनि जंयती और मंगलवार का योग बन रहा है। मंगलवार का कारक मंगल है। मंगल इस समय अपनी उच्च राशि मकर में है।
मंगल के उच्च राशि में रहते हुए शनि जयंती 205 साल पहले 30 मई 1813 को आई थी। उस समय भी मंगल, केतु के साथ मकर राशि में और राहु कर्क राशि में था। उसके बाद ये योग अब बना है। इस योग में यदि राशि अनुसार खास उपाय किए जाएं तो शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है।

मंगल के उच्च राशि में रहते हुए शनि जयंती 205 साल पहले 30 मई 1813 को आई थी। उस समय भी मंगल, केतु के साथ मकर राशि में और राहु कर्क राशि में था। उसके बाद ये योग अब बना है। इस योग में यदि राशि अनुसार खास उपाय किए जाएं तो शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है।
इन राशियों पर है शनि की साढ़ेसाती और ढय्या
18 अप्रैल से शनि वक्रीय स्थिति में है, जो 6 सितंबर तक रहेगा। जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढय्या का प्रभाव है, उन्हें इस दौरान और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस समय वृषभ और कन्या पर शनि की ढय्या व वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है।
18 अप्रैल से शनि वक्रीय स्थिति में है, जो 6 सितंबर तक रहेगा। जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढय्या का प्रभाव है, उन्हें इस दौरान और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस समय वृषभ और कन्या पर शनि की ढय्या व वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है।
मेष राशि- सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
वृषभ राशि- शनि अष्टोत्तर शत नामावली का पाठ करें।
मिथुन राशि- शनिदेव को काली उड़द की दाल चढ़ाएं।
कर्क राशि- राजा दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें।
सिंह राशि- शनि जयंती पर हनुमानजी को चोला चढ़ाएं।
कन्या राशि- शनिदेव के बीज मंत्रों का जाप करें।
तुला राशि- शनिदेव का अभिषेक सरसों के तेल से करें।
वृश्चिक राशि- गरीबों को जूते-चप्पल या काले वस्त्रों का दान करें।
धनु राशि- शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे 11 दीपक लगाएं।
मकर राशि- शनिदेव के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
कुंभ राशि- शनि जयंती पर शमी वृक्ष की पूजा करें
मीन राशि- कुष्ठ रोगियों को भोजन, कपड़े व अन्य चीजों का दान करें।
205 साल बाद शनि जयंती पर बन रहा है दुर्लभ योग, अपने नाम के अनुसार करें उपाय
Reviewed by RAVISH DUTTA
on
May 11, 2018
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